Saturday, 17 June 2017

अच्छी सेहत के लिए अपनाएं ये कुदरती चीजें, जानें कुछ बातें


शोध साबित कर चुके हैं कि मौजूदा जीवनशैली इंसानी जीवन के लिए खतरनाक साबित होती जा रही है। इंसान कुदरत से दूर होता जा रहा है और कृत्रिम चीजों पर निर्भरता बढ़ रही है। ऐसे में सेहत अच्छी कैसे बनी रहेगी? लोगों को रोजाना नई-नई बीमारियां हो रही हैं। डॉक्टर और वैज्ञानिक मिलकर बीमारियों का इलाज खोज रहे हैं लेकिन रोगों का सिलसिला बढ़ता जा रहा है। आज हर दूसरे घर में डायबिटीज और दिल के मरीज मिल जाएंगे। आखिर कब हम पूर्ण स्वास्थ्य को प्राप्त कर पाएंगे? इसका जवाब खोजने के लिए हमें बैक टू बेसिक्स के सिद्धांत पर काम करना होगा। हमें फिर से कुदरत के करीब जाना होगा।

1) कैमिकल्स से खतरा

यकीन करेंगे कि आपके घर में इस्तेमाल होने वाली कई जरूरी चीजों से कैंसर हो सकता है? जी हां, हाल ही हुए एक शोध से साबित हुआ है कि घरों में रोजाना इस्तेमाल होने वाली चीजों में प्रयोग होने वाले कैमिकल्स के संयुक्त प्रभाव से भविष्य में कैंसर होने की आशंका बढ़ जाती है। 28 देशों के 174 वैज्ञानिक हाल ही हुए एक शोध के बाद इस नतीजे पर पहुंचे हैं। इस दल में भारतीय वैज्ञानिक भी थे। इस शोध में 85 कैमिकल्स को शामिल किया गया था। इसमें से 50 कैमिकल्स ऐसे पाए गए जो कैंसर के शुरुआती स्तर की वजह बन सकते हैं। 13 कैमिकल्स ऐसे पाए गए जो बाकी कैमिकल्स के मुकाबले हमें तेजी से कैंसर की ओर धकेल सकते हैं।

2) सच्चे स्वास्थ्य का इंतजार

आपको अपने खानपान, रहन-सहन और दिनचर्या में बदलाव करना होगा। आपको कृत्रिम चीजों के बजाय कुदरती चीजों का इस्तेमाल करना होगा। अगर आप बनावटी संसार में फंसे रहेंगे तो सच्ची सेहत कभी प्राप्त नहीं कर पाएंगे। यह सच है कि आप एकदम से अपनी लाइफस्टाइल नहीं बदल सकते और न ही खतरनाक चीजों को फौरन अपने जीवन से बाहर निकाल सकते हैं। लेकिन जानकारी होने पर सचेत रहकर खतरों को कम कर सकते हैं। सच्चा स्वास्थ्य आपका इंतजार कर रहा है। तो फिर देर किस बात की, जानते हैं उन तरीकों के बारे में जो सेहत में सकारात्मक बदलाव लेकर आएंगे। लेकिन इन बदलावों के लिए आपको सबसे पहले अच्छी सेहत के लिए दृढ़ निश्चय करना होगा।

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3) दातुन चबाएं


कई शोध टूथपेस्ट को कैंसर का कारक बता रहे हैं। ऐसे में नीम की दातुन का इस्तेमाल कर सकते हैं। दांतों के लिए नीम की दातुन काफी फायदेमंद रहती है। अगर नियमित तौर पर दातुन न मिले तो भी खाली ब्रश करके या सप्ताह में केवल दो बार पेस्ट लगाकर भी हम खतरे को कम कर सकते हैं।

4) मुल्तानी मिट्टी लगाएं

आज के जमाने में कई लोग खुशबू के फेर में तरह-तरह के साबुन इस्तेमाल करते हैं। इन साबुनों में कई तरह के कैमिकल होते हैं जो कई बीमारियों का कारण बन सकते हैं। आप साबुन के बजाय मुल्तानी मिट्टी को नहाने के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं। अगर नहाते वक्त सफाई का पूरा खयाल रखा जाए तो वैसे भी साबुन की जरूरत नहीं रहती।

5) पानी को उबालकर पिएं

आज ज्यादातर घरों में पानी साफ करने के लिए आरओ मशीन लगी हुई है। लेकिन कई बार ज्यादा मशीनी पानी भी नुकसान दे सकता है। आरओ की जगह पर पानी को अच्छी तरह से उबालकर तांबे के बर्तन में रखकर इस्तेमाल किया जा सकता है। जैन धर्म में धोवन पानी की परंपरा है। पानी में राख मिलाकर धोवन पानी तैयार किया जाता है।

6) विदेशों में शुरू हुआ बैक टू बेसिक्स

कई पश्चिमी देश अब भौतिकतावादी जीवन से परेशान हो चुके हैं। अब वहां आपको क्रंकीट, प्लास्टिक व मशीनें नजर नहीं आएंगीं। कई लोग सेहत के लिए हरियाली के निकट जा रहे हैं। कृत्रिम सामानों की जगह प्राकृतिक चीजों की मदद से जीवनयापन कर रहे हैं। अब वहां चौपहिया वाहनों की जगह पर साइकिल इस्तेमाल की जा रही है। दुनिया के कई देशों में अब चीजों की रिसाइक्लिंग पर जोर दिया जा रहा है। पश्चिमी देश इतनी तेजी से तरक्की कर चुके हैं कि अब वहां गो स्लो का कॉन्सेप्ट शुरू हो रहा है। लोग हर चीज की गति को धीमा कर तेज गति को नकार रहे हैं।

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7) इनसे ले सकते हैं प्रेरणा

हाल ही दुनिया की मशहूर मीडिया सेलिब्रिटी ओपरा विन्फ्रे ने कुदरती जीवन जीने का फैसला लिया। उन्होंने ऐसी चीजों से दूर रहने का प्रण किया जो जीवन से खुशियों को दूर ले जाती हैं और सेहत को खराब करती हैं। मिट्टी से तैयार घर में रहकर, बकरी का दूध पीकर और मामूली धोती पहनकर महात्मा गांधी ने देश को आजादी दिलाई। वे पर्यावरण की ताकत को समझते थे। स्टीव जॉब्स कहते थे कि आप एक कप चाय, रोशनी और संगीत के सहारे भी खुश रह सकते हैं। उनके पुराने घर में कोई फर्नीचर नहीं था। वहां एक लैंप, कुर्सी और बिस्तर थे। उनका पहनावा सादा था, पर विचार बहुत नए। वह नए विचारों के लिए बंद कमरों में रहने के बजाय कुदरत की शरण में जाते थे। ग्राहम हिल कहते हैं कि जीवन में कम सामान, जगह और ऊर्जा से ज्यादा पैसा, अच्छा स्वास्थ्य और खुशियां पाई जा सकती हैं।

8) नीम की पत्तियों का जादू


नीम की पत्तियां कीटाणुओं का नाश कर सकती हैं। इन्हें पानी में उबालकर इस्तेमाल में लिया जा सकता है। यह एंटीसेप्टिक लिक्विड का विकल्प हो सकती हैं।


9) सूती कपड़े का उपयोग


आजकल फॉइल पेपर में रोटियां लपेटकर रखी जाती हैं। इसके स्थान पर सूती कपड़े में भी रोटियां रखी जा सकती हैं। रेफ्रिजरेटर के इस्तेमाल को भी सीमित करने की जरूरत है।

10) दवाओं का ज्यादा सेवन 


बात-बात में पेनकिलर लेना कैंसर के कारक हो सकते हैं। हमें अपनी सहनशीलता बढ़ानी चाहिए। थोड़ी-सी परेशानी होने पर दवाइयों के पीछे नहीं भागना चाहिए। इसके बजाय घरेलू नुस्खों का इस्तेमाल कर सकते हैं।


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