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Wednesday 24 May 2017

Five Monkey Experiments


एक बार कुछ scientists ने एक बड़ा ही interesting experiment* किया .उन्होंने 5 बंदरों को एक बड़े से cage में बंद कर दिया और बीचों -बीच एक सीढ़ी लगा दी जिसके ऊपर केले लटक रहे थे . जैसा की expected है जैसे ही एक

बन्दर की नज़र केलों पर पड़ी वो उन्हें खाने के लिए दौड़ा , पर जैसे ही उसने कुछ सीढ़ियां चढ़ीं उसपर ठण्डे पानी की तेज धार डाल दी गयी और उसे उतर कर भागना पड़ा . पर experimenters यहीं नहीं रुके , उन्होंने एक बन्दर के किये गए की सजा बाकी बंदरों को भी दे डाली और सभी को ठन्डे पानी से भिगो दिया . बेचारे बन्दर हक्का-बक्का एक कोने में दुबक कर बैठ गए .

पर वे कब तक बैठे रहते , कुछ समय बाद एक दूसरे बन्दर को केले खाने का मन किया , और वो उछलता कूदता सीढ़ी की तरफ दौड़ा …अभी उसने चढ़ना शुरू ही किया था कि पानी की तेज धार से उसे नीचे गिरा दिया गया … और इस बार भी इस बन्दर के गुस्ताखी की सजा बाकी बंदरों को भी दी गयी .


एक बार फिर बेचारे बन्दर सहमे हुए एक जगह बैठ गए …. थोड़ी देर बाद जब तीसरा बन्दर केलों के लिए लपका तो एक अजीब वाक्य हुआ … बाकी के बन्दर उस पर टूट पड़े और उसे केले खाने से रोक दिया , ताकि एक बार फिर उन्हें ठन्डे पानी की सजा ना भुगतनी पड़े .

अब experimenters ने एक और interesting चीज की , अंदर बंद बंदरों में से एक को बाहर निकाल दिया और एक नया बन्दर अंदर डाल दिया …

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नया बन्दर वहां के rules क्या जाने , वो तुरंत ही केलों की तरफ लपका , पर बाकी बंदरों ने झट से उसकी पिटाई कर   दी , उसे समझ नहीं आया कि आखिर क्यों ये बन्दर खुद भी केले नहीं खा रहे और उसे भी नहीं खाने दे रहे …. खैर उसे भी समझ आ गया कि केले सिर्फ देखने के लिए हैं खाने के लिए नहीं .

इसके बाद experimenters ने एक और पुराने बन्दर को निकाला और नया अंदर कर दिया , इस बार भी वही हुआ नया बन्दर केलों की तरफ लपका पर बाकी के बंदरों ने उसकी धुनाई कर दी और मजेदार बात ये है कि पिछली बार आया नया बन्दर भी धुनाई करने में शामिल था , जबकि उसके ऊपर एक बार भी ठंडा पानी नहीं डाला गया था !



experiment के अंत में सभी पुराने बन्दर बाहर जा चुके थे और नए बन्दर अंदर थे जिनके ऊपर एक बार भी ठंडा पानी नहीं डाला गया था , पर उनका behavior भी पुराने बंदरों की तरह ही था , वे भी किसी नए बन्दर को केलों को नहीं छूने देते .

Friends, हमारी society में भी ये behavior देखा जा सकता है . जब भी कोई नया काम शुरू करने की कोशिश करता है , चाहे वो पढ़ाई , खेल , एंटरटेनमेंट, business, या किसी और field से related हो उसके आस पास के लोग उसे ऐसा करने से रोकते हैं , उसे failure का डर दिखाया जाता है , और interesting बात ये है कि उसे रोकने वाले maximum log वो होते हैं जिन्होंने खुद उस field में कभी हाथ भी नहीं आजमाया होता। . इसलिए यदि आप भी कुछ नया करने की सोच रहे हैं और आपको भी समाज का opposition face करना पड़ रहा है तो थोड़ा संभल कर रहिये , अपने logic और guts की सुनिए … कुछ बंदरों की जिद्द के आगे आप भी बन्दर मत बन जाइए !

                                                            


Secret of Success - भैंस की मौत !


एक दार्शनिक अपने एक शिष्य के साथ कहीं से गुजर रहा था। चलते-चलते वे एक खेत के पास पहुंचे। खेत अच्छी जगह स्थित था लेकिन उसकी हालत देखकर लगता था मानो उसका मालिक उस पर जरा भी ध्यान नहीं देता है।

खैर, दोनों को प्यास लगी थी सो वे खेत के बीचो-बीच बने एक टूटे-फूटे घर के सामने पहुंचे और दरवाज़ा खटखटाया।
अन्दर से एक आदमी निकला, उसके साथ उसकी पत्नी और तीन बच्चे भी थे। सभी फटे-पुराने कपड़े पहने हुए थे।



दार्शनिक बोला, “ श्रीमान, क्या हमें पानी मिल सकता है? बड़ी प्यास लगी है!”
“ज़रूर!”, आदमी उन्हें पानी का जग थमाते हुए बोला।
“मैं देख रहा हूँ कि आपका खेत इनता बड़ा है पर इसमें कोई फसल नही बोई गयी है, और ना ही यहाँ फलों के वृक्ष दिखायी दे रहे हैं…तो आखिर आप लोगों का गुजारा कैसे चलता है?”, दार्शनिक ने प्रश्न किया।
“जी, हमारे पास एक भैंस है, वो काफी दूध देती है उसे पास के गाँव में बेच कर कुछ पैसे मिल जाते हैं और बचे हुए दूध का सेवन कर के हमारा गुजारा चल जाता है।”, आदमी ने समझाया।
दार्शनिक और शिष्य आगे बढ़ने को हुए तभी आदमी बोला, “ शाम काफी हो गयी है, आप लोग चाहें तो आज रात यहीं रुक जाएं!”
दोनों रुकने को तैयार हो गए।

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आधी रात के करीब जब सभी गहरी नींद में सो रहे थे तभी दार्शनिक ने शिष्य को उठाया और बोला, “चलो हमें अभी यहाँ से चलना है, और चलने से पहले हम उस आदमी की भैंस को चट्टान से गिराकर मार डालेंगे।”
शिष्य को अपने गुरु की बात पर यकीन नहीं हो रहा था पर वो उनकी बात काट भी नहीं सकता था।
दोनों भैंस को मार कर रातों-रात गायब हो गए!

यह घटना शिष्य के जेहन में बैठ गयी और करीब 10 साल बाद जब वो एक सफल उद्यमी बन गया तो उसने सोचा क्यों न अपनी गलती का पश्चाताप करने के लिए एक बार फिर उसी आदमी से मिला जाए और उसकी आर्थिक मदद की जाए।
अपनी चमचमाती कार से वह उस खेत के सामने पहुंचा।

शिष्य को अपनी आँखों पे यकीन नहीं हो रहा था। वह उजाड़ खेत अब फलों के बागीचे में बदल चुका था… टूटे-फूटे घर की जगह एक शानदार बंगला खड़ा था और जहाँ अकेली भैंस बंधी रहती थी वहां अच्छी नस्ल की कई गाएं और भैंस अपना चारा चर रही थीं।

शिष्य ने सोचा कि शायद भैंस के मरने के बाद वो परिवार सब बेच-बाच कर कहीं चला गया होगा और वापस लौटने के लिए वो अपनी कार स्टार्ट करने लगा कि तभी उसे वो दस साल पहले वाला आदमी दिखा।

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“ शायद आप मुझे पहचान नहीं पाए, सालों पहले मैं आपसे मिला था।”, शिष्य उस आदमी की तरफ बढ़ते हुए बोला।
“नहीं-नहीं, ऐसा नहीं है, मुझे अच्छी तरह याद है, आप और आपके गुरु यहाँ आये थे…कैसे भूल सकता हूँ उस दिन को; उस दिन ने तो मेरा जीवन ही बदल कर रख दिया। आप लोग तो बिना बताये चले गए पर उसी दिन ना जाने कैसे हमारी भैंस भी चट्टान से गिरकर मर गयी। कुछ दिन तो समझ ही नहीं आया कि क्या करें, पर जीने के लिए कुछ तो करना था, सो लकड़ियाँ काट कर बेचने लगा, उससे कुछ पैसे हुए तो खेत में बोवाई कर दी… सौभाग्य से फसल अच्छी निकल गयी, बेचने पर जो पैसे मिले उससे फलों के बागीचे लगवा दिए और यह काम अच्छा चल पड़ा और इस समय मैं आस-पास के हज़ार गाँव में सबसे बड़ा फल व्यापारी हूँ…सचमुच, ये सब कुछ ना होता अगर उस भैंस की मौत ना हुई होती !

“लेकिन यही काम आप पहले भी कर सकते थे?”, शिष्य ने आश्चर्य से पूछा।



आदमी बोला, “ बिलकुल कर सकता था! पर तब ज़िन्दगी बिना उतनी मेहनत के आराम से चल रही थी, कभी लगा ही नहीं कि मेरे अन्दर इतना कुछ करने की क्षमता है सो कोशिश ही नहीं की पर जब भैंस मर गयी तब हाथ-पाँव मारने पड़े और मुझ जैसा गरीब-बेहाल इंसान भी इस मुकाम तक पहुँच पाया।”

आज शिष्य अपने गुरु के उस निर्देश का असली मतलब समझ चुका था और बिना किसी पश्चाताप के वापस लौट पा रहा था।

Friends, कई बार हम परिस्थितियों के इतने आदि हो जाते हैं कि बस उसी में जीना सीख लेते हैं, फिर चाहे वो परिस्थितियां बुरी ही क्यों न हों!
हम अपनी जॉब से नफरत करते हैं पर फिर भी उसे पकड़े-पकड़े ज़िन्दगी बिता देते हैं, तो कई बार हम बस इसलिए नये business के बारे में नहीं सोचते क्योंकि हमारा मौजूदा बिजनेस दाल-रोटी भर का खर्चा निकाल देता है! पर ऐसा करने में हम कभी भी अपने full potential को realize नहीं कर पाते हैं और बहुत सी ऐसी चीजें करने से चूक जाते हैं जिन्हें करने की हमारे अन्दर क्षमता है और जो हमारी life को कहीं बेहतर बना सकती हैं।
सोचिये, कहीं आपकी ज़िन्दगी में भी तो कोई ऐसी भैंस नहीं जो आपको एक बेहतर ज़िन्दगी जीने से रोक रही है…कहीं ऐसा तो नहीं कि आपको लग रहा है कि आपने उस भैंस को बाँध कर रखा है जबकि असलियत में उस भैंस ने आपको बाँध रखा है! और अगर आपको लगे कि ऐसा है, तो आगे बढिए…हिम्मत करिए, अपनी रस्सी को काटिए; आजाद होइए… आपके पास खोने के लिए बहुत थोड़ा है पर पाने के लिए पूरा जहान है! जाइए उसे पाकर दिखाइए!