अर्जेंटीना के उत्तरी प्रांत में 300 एनआरआई सिख परिवार रहते हैं। ज्यादातर परिवारों के बुजुर्गों ने लुधियाना से अर्जेंटीना का सफर 1930 में शुरू किया था। वे सभी ब्रिटिश शुगर मिलों में काम करने गए थे। रोसारियो दा ला फ्रोंटेरा में देश का एकमात्र गुरुद्वारा है, जहां सभी धार्मिक कार्यक्रमों में शरीक होने आते हैं। यहां आने वाला एक सिख इन सबमें इसलिए भी अलग है, क्योंकि उसे अर्जेटीना आए हुए 8 साल ही हुए हैं।
सिमरपाल सिंह अर्जेंटीना में पीनट्स (मूंगफली) प्रिंस, पीनट्स किंग और महाराजा के नाम से जाने जाते हैं। अगर अर्जेंटीना सरकार की मानें तो वह उनके देश की जान हैं। 2005 में अर्जेंटीना जा बसे सिमरपाल ने यहां आने के बाद फिर कभी मुड़कर नहीं देखा। उन्होंने मूंगफली का उत्पादन और खरीदी करने वाली अंतरराष्ट्रीय कंपनी ओलम इंटरनेशनल की शुरुआत की। आज आठ साल बाद उनकी कंपनी मूंगफली, सोया, चावल और मक्का का उत्पादन करती है। सिमरपाल दुनिया में मूंगफली के दूसरे सबसे बड़े निर्यातक हैं।
स्पेनिश भाषा का अच्छा ज्ञान रखने वाले सिमरपाल वर्तमान में 20 हजार हेक्टेयर भूमि पर मूंगफली की खेती करते हैं। 10 हजार हेक्टेयर पर सोया और मक्का उगाते हैं। वहीं, 1700 हेक्टेयर भूमि चावल की खेती के लिए पट्टे पर दे रखी है। वहां भूमि की जोताई, नर्सरी विकसित करने की विधि और धान की रोपाई से संबंधित परंपरागत भारतीय तरीके नहीं अपनाए जाते हैं। यहां किसान मशीनों की मदद से बोआई करते हैं।
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अमृतसर निवासी सिमरपाल ने गुरुनानक देव यूनिवर्सिटी से कृषि में बीएससी ऑनर्स करने के बाद गुजरात के आईआरएमए आनंद (इंस्टीट्यूट ऑफ रूरल मैनेजमेंट) से एमबीए किया। उनकी पत्नी हरप्रीत आईआईटी, दिल्ली से ग्रेजुएट हैं। अफ्रीका के घाना, आइवरी कोस्ट और पूर्व मोजाबिंका में काम करने के बाद सिमरपाल परिवार सहित 2005 में अर्जेंटीना जा बसे। वे बताते हैं कि बड़े पैमाने पर अर्जेंटीना में खेती करना जोखिम भरा हो सकता था। भारी रकम के चुका कर उन्होंने ओलम के लिए 40 हेक्टेयर भूमि कई तरह की फसलों और खेती के लिए खरीद ली।
सिमरपाल को तब थोड़ी शर्मिंदगी होती है, जब उन्हें देशवासी किंग या प्रिंस कह कर बुलाते हैं। वे बताते हैं, "यहां कई अमीर लोग मेरी तरह पगड़ी पहनना चाहते हैं। उन्हें लगता है कि मैं कोई भारतीय शाही परिवार से हूं।" बकौल सिमर, "मेरा बचपन प. बंगाल के दुर्गापुर में बीता, जो राज्य का औद्योगिक क्षेत्र है। मैं बचपन से ही अर्जेंटीना फुटबॉल टीम का समर्थक था। मैंने कभी सोचा नहीं था कि एक दिन यहां काम करने आऊंगा।"
अर्जेंटीना में उनकी कंपनी में 200 कर्मचारियों में सिर्फ दो ही भारतीय हैं। यहां भारतीयों को देश ने हाथोंहाथ लिया है। उनकी पत्नी और सिमर दोनों हमेशा स्पेनिश भाषा का ही उपयोग करते हैं, लेकिन परिवार में देसी भाषा में बात करते हैं। राजधानी ब्यूनस आयर्स में सिमर की लोकप्रियता देखते हुए भारतीय के लिए दर्जनों रेस्टोरेंट खुल चुके हैं। अर्जेटीना के पूर्व राजदूत और लैटिन अमेरिकी देशों के जानकार आर. विश्वनाथन बताते हैं कि उनकी और सिमरपाल की मुलाकात बड़े ही रोचक अंदाज में हुई थी।विश्वनाथन ने अपने ब्लॉग पर एक बार सिमरपाल के बारे में लेख लिखा था। उन्होंने लिखा, अर्जेंटीना के कई प्रमुख मॉडल कई बार आकर्षक लाल पगड़ीधारी सिमरपाल को देख उसकी कार पीछा करते हैं और हसरतभरी निगाहों से देखते हैं। उन्होंने बताया कि वे रियो कुआटरे कंट्री क्लब में गोल्फ खेलने गए थे। कुछ अर्जेंटीना के खिलाड़ी आए और उनसे पूछा कि वे पगड़ी कहां से खरीद सकते हैं और उसे कैसे बांधा जा सकता है।
Indian Ambassador to Argentina, Rengaraj Viswanathan has described Simmarpal as a role model for success in agribusiness in his blog. “The role model has become the target pursuit of hot Argentine models. When they see his flashy red turban, they chase him; they follow his car and stalk him everywhere... When I visited Rio Cuarto County Club on May 16 last year, the Argentine players asked me where they could buy a turban and how to wear it. I asked them the reason for this interest. They showed me a villa within the country club complex and said ‘Here lives an Indian Maharaja. He looks handsome with his turban. When he goes to the nightclubs, he gets premium service and gets it free because they think he is a Maharaja’,” wrote the Ambassador about his first meeting with Simmarpal.
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जब विश्वनाथन ने पूछा कि आपको पगड़ी में इतनी रुचि क्यों है तो उन्होंने क्लब के पास बने एक विला की ओर इशारा करते हुए कहा कि वहां एक भारतीय महाराजा रहता है। वह पगड़ी में बहुत खूबसूरत लगता है। जब वह नाइट क्लब में जाता है तो उसकी खूब आवभगत होती है। वे खिलाड़ी सिमरपाल को महाराजा समझते थे और पूरे अर्जेंटीनावासियों का भी यही ख्याल है।
सिंगापुर स्थित ओलम इंटरनेशनल के सीईओ और ग्रुप मैनेजिंग डायरेक्टर भारतीय मूल के सनी वर्गीस को फोर्ब्स मैगजीन ने सिंगापुर का 40वां अमीर व्यक्ति माना है। कंपनी का सालाना राजस्व 8 खरब रुपए है। कंपनी के पास 20 कृषि से जुड़े उत्पाद हैं। 65 देशों में कंपनी के 17 हजार कर्मचारी काम करते हैं।
I hope the Indian entrepreneurs will come to invest in Argentina, inspired by the successful example of Peanut Prince - Simmar Pal Singh !
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