Thursday, 8 June 2017

The Match Stick - माचिस की तीली


एक दिन एक किसान नाव पर बैठ कर नदी पार कर रहा था उसने एक बीड़ी जलाई और माचिस की तीली को फुक मार कर पानी में फैक दिया। पास में बैठे आदमी बार बार सोचता रहा की किसान ने तीली को अगर पानी में ही फैकना था तो तीली को बुझाया क्यों? उसकी समझ में नही आया फिर उसने हिम्मत की और किसान से पूछ ही लिया की तीली को पानी में फैकना था तो फूंक से बुझाया क्यों, तीली तो पानी में जाकर अपने आप ही बुझ जाती…

किसान ने जवाब दिया ये उसकी आदत है। उसके पिता जी ने कहा था की तीली को हमेशा बुझाकर ही फेंकना चाहिए क्योंकि एक तीली किसी का घर जला सकती है.

अब बात आती है छोटी से कहानी में बड़े से सन्देश की जो कहानी की गहराई में जाने पर पता चलता है जिस तीली से किसी का घर जलता है उसमे तीली फेंकने वाले की कोई गलती नही होती गलती होती है उसकी आदतो की उसके संस्कार की जो उसे उसके माँ बाप से मिले है तो दोष उनका नही उनकी परवरिश का दोष है।


बच्चे अपने माँ-बाप का प्रतिनिधित्व करते है आदमी जो भी करता है अपनी आदत के अनुसार ही करता है कोई अपनी माँ को डांट देता है कोई अपनी पत्नी पर हाथ उठता है रिश्तों को अहमियत नही देते, छोटी छोटी बात पर झगड़ा करते है और आजकल तो सोशल मीडिया पर आकर अपनी भड़ास निकालते है, लोगो को गालिया देते है और दूसरे लोगो का नुकसान करते है। उन्हें ये सोच कर माफ़ कर देना चाहिए की उनकी परवरिश में दोष है, वो इरादतन ऐसे नही कर रहे बल्कि आदतन ऐसे कर रहे है, ये सब करना उनकी आदत है 

जिन्होंने जिंदगी में संस्कार नही सीखे उनके बारे में क्या सोचना. ये बात अलग है की ऐसे काम किसी का घर जला देते है पर इसके बाद भी हमे लगता है की उन्हें ये सोच कर माफ़ कर देना चाहिए दोष उनका नही है। वो वही करेंगे जैसा उन्होंने सीखा है वो कहते है ना जैसा बीज बोयेंगे वैसा ही फल मिलेगा। हमे अपने माँ-बाप को धन्यवाद देना चाहिए की उन्होंने हमे अच्छी आदते सिखाई। और अच्छा इंसान बनाया
                                                              


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