इस कहावत से यही बात सामने आती हैं की मधुम्ख्खियो को या किसी भी जानवर को इस बात का फर्क नहीं पड़ता की उनके बारे मे बाकी क्या सोचते हैं,
पर इन्सान की एक यही आदत सभी समस्याओ की जड़ हैं हमारी सोच की लोग क्या कहेगे, लोग क्या सोचेगे, उनको क्या लगेगा इसी सोच की वजह से हम कुछ भी खुलकर और Confident के साथ नहीं कर पाते.
क्योकी हम कोई भी काम करने से पहले दस बार लोगे के बारे मैं सोचते हैं और अगर हम कोई काम करेगे और इसमें हम कामयाब नहीं हो पाये तो मेरे दोस्त, रिश्तेदार, पडोसी, मेरे पहचानवाले मेरे बारेमे क्या सोचेगे इस डर की वजह से हम कोई भी काम करने से कतराते हैं. लेकिन जिंदगी मैं अगर कुछ बड़ा काम करना होगा तो लोगो के बारे मैं सोचना छोड़ देना होगा.
Read Also
» 17 Famous Indians With Disabilities Who Inspire Us Everyday
» The Kite without a thread - The Story of Family Unity and Love
आपको एक कहानी बताता हु…
एक दिन एक आदमी मार्निंग वाक को गया तभी उसने एक गली मैं एक लड़के को कचरा उठाते हुये देखा वहां के दो-चार कुत्ते उस पर भोक रहे थे उस आदमी ने उस लड्के की एक बात गोर की वो भोकते हुये कुत्तो को देखकर उस लड़के के चेहरेपर न कोई डर न उस लड़के का उन कुत्तो पर कोई ध्यान था वह लड़का बस अपना कचरा उठाने का काम कर रहा था वो लड़का वहासे दूसरी गली मैं गया तो दूसरी गली के कुत्ते भी उसे देखकर भोकने लगे वहा पर भी उस लड़के ने कुत्तो की तरफ ध्यान न देकर अपना कचरा उठाने के काम को करता रहा. उस लड़के ने कचरा उठाकर दो-चार सौ रूपये कमा लिये और भोकने वाले भोकते रहे गये.
तो दोस्तों, यहीं सोच हम हमारी जिंदगी में अपनाये तो हम कभी पिछे नहीं रहगे. और हम अपना काम लोगो की सोच को ध्यान में रखकर नहीं करेगे तो पुरे करेगे. वो कहावत हैं न ”सुनो सब की करो मन की ”
0 comments:
Post a Comment