एक शहर में बहुत बड़ा और प्रसिद्ध स्कूल (Famous school) था। उस स्कूल में कार्य करने वाले मैनेजर को यह अभिमान हो गया था कि उसके बिना स्कूल नहीं चल सकता क्योकि वह स्कूल के बहुत से कार्यों को सफलता (Success) के साथ पूरा करता था। अपने किसी भी काम में वह कभी कोई कमी नहीं रखता था।
स्कूल का मालिक भी अपने इस मैनेजर से बहुत खुश (Very Happy) रहता था और उस पर बहुत भरोसा करता था।
बस मैनेजर को इस बात का अभिमान हो गया था कि उसके बिना यह स्कूल एक भी दिन नहीं चल सकता। उसके नीचे कार्य करने वाले कुछ कर्मचारी उसकी तारीफ़ करते रहते थे कि हमारे मैनेजर साहब तो बहुत अच्छी तरह काम संभालते हैं, वह उस स्कूल के आधार स्तम्भ (Pillars) हैं।
ऐसी बातें सुनकर मैनेजर को यकीन हो गया था कि पूरे स्कूल को चलाने वाला वह ही है, उसके बिना यहाँ कोई काम हो ही नहीं सकता। अगर वह इस स्कूल में एक दिन भी न आये तो स्कूल का काम ठप हो जायेगा।
अपने इस अभिमान के कारण वह अपने से नीचे कार्य करने वालों पर बहुत रौब झाड़ा करता था। अब उसे लगने लगा था कि पूरे स्कूल में मेरे जैसा अच्छी तरह कार्य करने वाला कोई नहीं है।
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एक बार स्कूल के वार्षिक समारोह (Annual ceremony) में एक मोटिवेशनल गुरू (Motivational teacher) को मुख्य अतिथि (Chief guest) के रूप बुलाया गया जहाँ उन्हें एक मोटिवेशनल स्पीच (Motivational speech) भी देनी थी।
मोटिवेशनल गुरू ने अपनी Speech देते समय कहा, “यह बात सही है कि प्रत्येक इंसान अपनेआप में Important है लेकिन यदि उसे यह अभिमान हो जाये कि उसके बिना कोई काम नहीं चल सकता या उसके बिना दुनिया नहीं चलेगी तो उसकी यह सोच (Thinking) व्यर्थ है। संसार में उसके जैसे कार्य करने वालों की कोई कमी नहीं है। एक इंसान जाता है तो कोई बात नहीं क्योकि कोई दूसरा उसकी जगह कार्य करने आ जाता है।”
अब स्कूल के मैनेजर (Manager) को यह बात अच्छी नहीं लगी और उन्होंने इसका विरोध किया। उन्होंने कहा, “मैं आपकी बात को नहीं मानता। मैं यह जानता हूँ कि यदि मैं स्कूल न आऊं तो यहाँ कोई भी कार्य (Work) सही से नहीं हो पायेगा और यहाँ की सारी व्यवस्था चरमरा जाएगी। School को बहुत से नुकसान होंगे।”
विरोध किये जाने पर मोटिवेशनल गुरू बोले, “यदि किसी को मेरी बात पर यकीन नहीं है तो वह मेरी बातों को आजमाकर देख ले। मैनेजर साहब चाहें तो कुछ दिनों का अवकाश लें और देखें कि उनके बिना काम सही से होता है या नहीं।”
यह निर्णय हुआ कि मैनेजर स्कूल से 10 दिनों का अवकाश लेंगे और कहीं अच्छी जगह पर घूमने निकल जायेंगे। इन 10 दिनों में मैनेजर स्कूल से और स्कूल से Related किसी भी व्यक्ति से कोई संपर्क नहीं करेंगे।
मैनेजर अपने परिवार के साथ घूमने निकल गए। मैनेजर को यकीन था कि स्कूल अब सही से नहीं चलेगा। वह अपनी पत्नी से बोला, “देख लेना ! इन 10 दिनों में तो स्कूल बिलकुल भी सही से नहीं चल पायेगा। हो सकता है स्कूल के मालिक को दो या तीन दिन स्कूल को बंद भी रखना पड़े।”
अब 10 दिनों बाद जब मैनेजर दुबारा स्कूल आये तो उन्होंने देखा कि स्कूल के सभी कार्य पहले की तरह बिलकुल सही से चल रहे हैं, एक भी दिन स्कूल बंद नहीं किया गया, सभी लोग भी पहले की तरह बहुत खुश हैं तो उन्होंने अपने मालिक से पूछा, “यह तो असंभव (Impossible) था, संभव (Possible) कैसे हुआ?”
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तभी स्कूल के मालिक ने जबाब दिया, “आप जब घूमने चले गए थे तब एक दिन तो कुछ परेशानी महसूस हुई लेकिन दूसरे दिन से आप ही के Under में काम करने वाले एक कर्मचारी ने आपके काम को बहुत अच्छी तरह संभाल लिया और इस तरह स्कूल को कोई भी परेशानी नहीं हुई।”
यह सुनकर मैनेजर का अभिमान (Proud) चकनाचूर हो गया और अब वह पहले की तरह अपना कार्य करने लगे, वो भी बिना किसी अभिमान के। अब उन्होंने सबके साथ अच्छा व्यवहार (Good behavior) करना शुरू कर दिया और अपना रौब जमाना बंद कर दिया।
दोस्तों ! हमें इस कहानी से बहुत सी अच्छी बातें सीखने को मिलती हैं (There are some good things to learn)—
1- यदि आप बहुत अच्छी तरह और जिम्मेदारी (Responsibility) से अपना काम करते हैं तो यह अच्छी बात है लेकिन आपको कभी अपने आप पर या अपने कार्य पर अभिमान नहीं करना चाहिए (Should not ego on yourself or your work)।2- प्रकृति का यह नियम (Rule of Nature) है कि जब कोई जगह खाली होती है तो उसे भरने कोई न कोई जरूर आ जाता है। जीवन किसी के लिए रुकता नहीं है (Life does not stop for anyone)।
3- अभिमान करते समय (Time) आप अपने से नीचे कार्य करने वालों पर बिना किसी वजह के अपना रौब जमाएंगे तो लोग आपको पसंद नहीं करेंगे (Should not Impress others unnecessarily)।
4- अभिमान में रहकर व्यक्ति खुद को सबसे अच्छा समझता है। वह यह भूल जाता है कि हम जैसे हजारों व्यक्ति हैं जो उस काम को कर सकते है जो वह कर रहा है।
5- जब दूसरे लोग आपकी तारीफ करें तो अभिमान न करें बल्कि और ज्यादा सतर्क हो जाएँ क्योकि अब लोग आप पर भरोसा (Trust) करने लगे है और अब आपकी जिम्मेदारी पहले से ज्यादा हो गयी है। एक Important बात यह भी है कि झूठी तारीफ (False compliment) करने वालों को भी पहचाने और उनकी बातों में न आएं।
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