कई सालों पहले जापान में साबुन बनानेवाली सबसे बड़ी और प्रसिद्ध कंपनी को अपने एक ग्राहक से यह शिकायत मिली कि उसने साबुन का एक पैक खरीदा था पर उनमें से एक साबुन का डिब्बा खाली था. कंपनी के अधिकारियों को जांच करने पर यह पता चला कि फैक्ट्री के पैकिंग असेम्बली लाइन में किसी तकनीकी गड़बड़ी के कारण साबुन के कई डिब्बे इसी तरह भरे जाने से छूट गए थे.
इसके लिए साबुन कंपनी ने एक कुशल इंजीनियर को रोज पैक हो रहे हज़ारों साबुन के डिब्बों में से खाली रह गए डिब्बों का पता लगाने के लिए तरीका ढूँढने के लिए कहा. काफी सोचविचार करने के बाद इंजीनियर ने फैक्ट्री के पैकिंग असेम्बली लाइन पर एक हाई-रिजोल्यूशन एक्स-रे मशीन लगाने के लिए कहा जिसे दो-तीन कारीगर मिलकर चलाते थे और एक कर्मचारी मॉनीटर की स्क्रीन पर निकलते जा रहे डिब्बों पर नज़र गड़ाए देखता रहता था ताकि कोई खाली डिब्बा बड़े-बड़े साबुन के बक्सों में नहीं चला जाए. उन्होंने ऐसी मशीन लगा भी ली थी पर सब कुछ यानि के साबुनों की पैकिंग इतनी तेजी से होता था कि वे भरसक प्रयास करने के बाद भी खाली डिब्बों का पता नहीं लगा पा रहे थे और मार्किट से ऐसे शिकायतों की बहुत ज्यादा मात्रा आने लगी.
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इस तरह से होने वाली रोज रोज की परेशानी से बचने के लिए एक अदना कारीगर ने कंपनी अधिकारियों को एक अनूठा और बहुत ही साधारण सा सुझाव दिया और वो सुझाव यह था की पैकिंग असेम्बली लाइन पर एक बड़ा सा इंडस्ट्रियल पंखा लगाया जाये जिससे की जब तेजी से घूमते हुये हुए पंखे के सामने से हर मिनट साबुन के सैंकड़ों डिब्बे गुज़रे तो उनमें मौजूद खाली डिब्बा सर्र से उड़कर दूर चला गया।
इस तरह सभी की मुश्किलें पल भर में आसान हो गयी।
इसीलिए कहते हैं, कोई सुझाव छोटा नहीं होता, ज़रुरत है तो बस उसे अमल में लाने की!
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