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Thursday, 8 June 2017

स्टार्ट अप्स के 31 बेहतरीन उद्धरण – 31 inspirational quotes for startups and entrepreneurs :



स्टार्ट अप्स के 31 बेहतरीन उद्धरण – 31 inspirational quotes for startups and entrepreneurs :


मार्क ज़ुकरबर्ग – “सबसे बड़ा रिस्क कोई रिस्क ना लेना है… इस दुनिया में जो सचमुच इतनी तेजी से बदल रही है, केवल एक रणनीति जिसका फेल होना तय है वो है रिस्क ना लेना|”

मार्टिन लूथर किंग – “यदि आप उड़ नहीं सकते तो भागो, यदि आप भाग नहीं सकते तो चलो, यदि आप चल नहीं सकते तो सरको लेकिन जीवन में इंच दर इंच आगे जरूर खिसकते रहो और एक दिन आप देखोगे की आप अपनी मंजिल तक पहुँच गए है|”

टोनी ह्सिएह – “घमंड न करें। दिखावा ना करें। हमेशा कोई न कोई आपसे बेहतर होता है।”

रीड हॉफमैन – “इससे कोई फर्क नहीं पड़ता की आपका दिमाग या रणनीति कितनी अच्छी है, आप एक टीम से हमेशा हार जायेंगे।”

जेम्स कैश पेनी – “हमेशा शुरुआत में ही सबसे अधिक प्रयत्न लगता है।”

पीटर ड्रकर – “बिज़नस न तो कोई विज्ञानं है और न ही कोई कला, यह तो सिर्फ अभ्यास है|”

सेठ गोडिन – “एक ही चीज जो शुरुआत कर के असफल होने से बदतर है; वो है…. शुरुआत न करना।”

स्कॉट बेल्स्की – “बिज़नस वास्तव में आइडियाज के बारे में नहीं हैयह तो आइडियाज को एक्सीक्यूट करने के बारे में है।”

टोनी ह्सिएह – “विज़न का पीछा करिये, पैसे का नहीं, पैसा खुद आपके पीछे आएगा।”

अनाम – “उद्यमिता अपने जीवन के कुछ साल ऐसे जीना है जिसे ज्यादातर लोग जीना नहीं चाहते इसकी वजह से बाकी जीवन आप ऐसे जीते हो जिसे ज्यादातर लोग नहीं जी सकते।”

विंस लोम्बार्डी – “जीतने वाले कभी हार नहीं मानते और हार मानने वाले कभी जीतते नहीं।”

डोनाल्ड ट्रम्प  – “जो भी हो जब आपको सोचना ही है तो बड़ा सोचिये।”

मैल्कम फोर्ब्स – “जब आप सपने देखना छोड़ देते हैं आप जीना छोड़ देते हैं।”

जेफ बेजोस – “मैं जानता था कि अगर मैं फेल हो जाता हूँ तो मुझे अफ़सोस नहीं होगा, लेकिन मैं जनता था कि एक चीज जिसका मुझे अफ़सोस हो सकता है ,वो है प्रयास ना करना।”

वॉल्ट डिज्नी – “शुरुआत करने का तरीका है बातें छोड़ना और शुरू कर देना।”

ड्रियू ह्यूस्टन – “विफलता के बारे में चिंता मत करो; आपको सिर्फ एक बार ही सफल होना है।”

रीड हॉफमैन – “खुद को बदलने का सबसे तेज तरीका है उन लोगों के साथ रहना जो पहले से ही उस रस्ते पर हैं जिसपर आप जाना चाहते हैं ।”

पियरे ओमिड्यार – “यदि आपके अंदर किसी चीज का जूनून है और आप कड़ी मेहनत करते हैं , तो मुझे लगता है आप सफल होंगे|”

गाए कावासाकी – “योजनाएं बनाना तो आसान हैं, लेकिन इन्हें क्रियान्वयन करना कठिन है।”

ब्रायन ट्रेसी – “यदि आप जो कर रहे हैं वो आपको आपके लक्ष्य की तरफ नहीं ले जा रहा है तो वो आपको लक्ष्य से दूर ले जा रहा है।”

वॉरेन बफे – “साख बनाने में बीस साल लगते हैं और उसे गंवाने में बस पांच मिनट. अगर आप इस बारे में सोचेंगे तो आप चीजें अलग तरह से करेंगे|”

हेनरी फोर्ड – “चाहे आप सोचते हैं कि आप कर सकते हैं , चाहे सोचते हैं कि आप नहीं कर सकते हैं – आप सही हैं|”

बिल गेट्स – “सफलता की ख़ुशी मानना अच्छा है पर उससे ज़रूरी है अपनी असफलता से सीख लेना|”

एडम ओसबोर्न – “सबसे मूल्यवान चीज जो आप कर सकते हैं वो है गलती करना – आप परफेक्ट होकर कुछ नहीं सीख सकते।”

जॉन सी मैक्सवेल – “लीडर वो है जो रास्ता जानता है, उस रास्ते पर चलता है, और रास्ता दिखता है।”

बिल गेट्स – “आपके सबसे असंतुष्ट ग्राहक आपके सीखने के अपने सबसे बड़े स्रोत हैं।”

फिल लिबिन – “एक कंपनी शुरू करने के बहुत से बुरे कारण हैं। लेकिन केवल एक ही अच्छा और वैध कारण है, और मुझे लगता है , आपको ये पता है : ये है दुनिया को बदलने के लिए।”

कटरीना कैफ – “अधिकतर लोग गलत चीज पर कड़ी मेहनत कर रहे होते हैं। लेकिन सही चीज पर काम करना कड़ी मेहनत करने से ज्यादा ज़रूरी है।”

क्रिस डिक्सन – “धीरे धीरे बड़े होइए, ताकि आप संभावित प्रतियोगियों को आगाह न कर दें।”

लैरी पेज – “हमेशा उम्मीद से अधिक दें।”

शॉन रेड – “डेटा, इमोशंस को हरा देता है।”



                                                                 

How MDH Become Millionaire - कैसे बना एक तांगेवाला अरबपति



दोस्तों, महाशय धरमपाल हट्टी(M.D.H), आज ये नाम किसी परिचय का मोहताज नहीं है| “मसाला किंग”(M.D.H) के नाम से मशहूर महाशय जी आज सफलता की बुलंदियों पर हैं, लेकिन इस सफलता
के पीछे एक बहुत सघर्ष भरी कहानी है|

इनका जन्म सियालकोट(जो अब पाकिस्तान में है) में हुआ था| ये एक सामान्य परिवार से ताल्लुक रखते थे, परिवार की आर्थिक स्थिति बहुत अच्छी न थी| महाशय जी जब धीरे धीरे बड़े हुए तो स्कूल में दाखिला कराया ये बचपन से ही पढ़ाई में बहुत कमजोर थे पढ़ने लिखने में बिल्कुल मन नहीं लगता था| इनके पिता इनको बहुत समझाते लेकिन महाशय जी बिल्कुल भी पढ़ाई पर ध्यान नहीं देते थे, इसी वजह से पाँचवी कक्षा में वो फेल हो गये और इसी के साथ उन्होनें स्कूल जाना भी छोड़ दिया|

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पिता ने इनको इसके बाद एक बढ़ई की दुकान पर काम सीखने के लिए भेज दिया| कुछ दिन बाद इनका मन बढ़ई के काम में नहीं लगा तो छोड़ दिया| धीरे धीरे समय आगे बढ़ता गया, इसी बीच महाशय जी 15 साल की उम्र तक करीब 50 काम बदल चुके थे| उन दिनों सियालकोट लाल मिर्च के लिए बहुत प्रसिद्ध था, यही सोचकर महाशय जी के पिताजी ने एक छोटी सी मसाले की दुकान करा दी धीरे धीरे व्यापार अच्छा बढ़ने लगा| लेकिन उन दिनों आज़ादी का आंदोलन अपने चरम पे था| 1947, में जब देश आज़ाद हुआ तो सियालकोट पाकिस्तान का हिस्सा बन चुका था और वहाँ रह रहे हिंदू असुरक्षा महसूस कर रहे थे और दंगे भी काफ़ी भड़क चुके थे इसी डर से उन्हें सियालकोट छोड़ना पड़ा| महाशय जी के अनुसार उन दिनों स्थिति बहुत भयावह थी, चारों तरफ मारामारी मची हुई थी| इन्हें भी अपना घर बार छोड़ कर भागना पढ़ा| बड़ी ही दिक्कत और मुश्किलों से वो नानक डेरा(भारत) पहुचे पर अभी वो शरणार्थी थे अपना सब कुछ लूट चुका था| इसके बाद स्पारिवार कई मीलों चलकर ये अमृतसर पहुचे| दिल्ली में इनके एक रिश्तेदार रहते थे, यही सोच कर महाशय जी करोलबाग देल्ही आ गये| उस समय उनके पास केवल 1500 रुपये थे कोई काम धंधा था नहीं| उन्होनें कुछ पैसे जुटाकर एक तांगा-घोड़ा खरीद लिया| और इस तरह वो बन गये एक *तांगा चालक*| लेकिन कुदरत को कुछ और ही मंजूर था, करीब २ महीने तक उन्होने कुतुब रोड दिल्ली पर तांगा चलाया|

इसके बाद उन्हें लगा की वो ये कम नहीं कर पाएँगे| लेकिन मसाले के सिवा वो कोई दूसरा कम जानते भी नहीं थे, कुछ सोचकर उन्होने घर पे ही मसाले का काम करने लगे| बाज़ार से मसाला लाकर घर पर ही उसे कुटते थे और बाज़ार में बेचते थे| उनकी ईमानदारी और मसालों की शुद्धता की वजह से उनका कारोबार धीरे धीरे बढ़ने लगा| डिमांड ज़्यादा हुई तो मसाले घर ना पीसकर एक व्यापारी के यहाँ चक्की पर पिसवाते थे| एक दिन जब व्यापारी से मिलने गये तो उन्होने देखा कि वह मसालों में मिलावट करता था ये देखकर महाशय जी को मन ही मन बहुत दुख हुआ और उन्होने खुद की मसाला पीसने की फॅक्टरी लगाने की सोची|


किर्तिनगर में इन्होने पहली फैक्टरी लगाई और उस दिन के बाद महाशय जी ने पीछे मुड़कर नहीं देखा और एक के बाद एक पूरे विश्व भर में अपने कारोबार(Business) को फैलाया|आज .M.D.H. एक बड़ा ब्रांड बन चुका है और पूरे विश्व में फैला हुआ है| आज महाशय जी बहुत बड़े अरबपति उद्धयोग(Richest Business) के मलिक हैं|

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महाशय जी की इस छवि से हटकर एक रूप और है वो है समाज सेवा| पूरे भारत में कई जगह उनके द्वारा संचालित विद्धयालय और अस्पताल हैं|

कहा जाता है क़ि “इंसान अपनी परिस्थितियों का नहीं अपने फ़ैसलों और कर्मों का परिणाम होता है”, ऐसा ही कुछ सीखने को मिलता है महाशय जी के जीवन से, तो आओ मित्रों हम भी इस महान पुरुष के जीवन से प्रेरणा लेकर सफल बनने का प्रयास करते हैं


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आवाज की गूंज..



दोस्तों, एक बच्चा अपने पापा के साथ पिकनिक मनाने गया। गर्मियों की छुट्टियां थीं तो सोचा क्यों ना कुछ समय प्रकृति के नजदीक शांति में गुजारा जाये। यही सोचकर उन्होंने कहीं पहाड़ों पे घूमने का प्लान बनाया। सामान पैक करके पिता और पुत्र दोनों पिकनिक के लिए निकल पड़े।

पर्वतों का नजारा बहुत ही शानदार था चारों ओर खुला आसमान और हरियाली थी। बच्चा एक छोटी पहाड़ी पर चढ़ने का प्रयास करने लगा, जैसे ही वो थोड़ा आगे चढ़ा उसका पाँव थोड़ा फिसला और एक पथ्थर से उसके पैर में हल्की सी चोट लग गयी और मुँह से तेज आवाज निकली – “आआह”
अब उसकी ये आवाज गूंज की वजह से वापस उसे सुनाई पड़ी -“आआह”, बच्चे को बड़ा आश्चर्य हुआ कि ये कौन बोला? वो फिर से जोर से बोला – “कौन है?” फिर से आवाज गूंज कर वापस आई “कौन है?” बच्चे ने उत्सुकतावश फिर चिल्लाया – “कौन हो तुम?” फिर आवाज वापस सुनाई दी – “कौन हो तुम?”

बच्चे ने अपने पिता से इसके बारे में पूछा तो पिता ने बच्चे से सर पर प्यार से हाथ फेरा और जोर से चिल्लाये – “तुम कायर हो ?” फिर से आवाज सुनाई दी – “तुम कायर हो ?” पिता ने मुस्कुरा कर फिर जोर से बोला – “तुम साहसी हो तुम विजेता हो” आवाज वापस सुनाई दी –“तुम साहसी हो तुम विजेता हो”

पिता ने बच्चे को समझाया कि ये आवाज तुम्हारी ही है जो पहाड़ो टकराकर तुमको वापस सुनाई दे रही है, यही जीवन है हम जो बोलते हैं, हम जो सोचते हैं वही हमें वापस मिलता है। इस आवाज की तरह ही हमारा भविष्य है, हमने जो आज किया वही हमको कल वापस मिलेगा। तुम दूसरों के प्रति मन में इज्जत रखोगे तो वही तुमको वापस मिलेगी।

तुम अगर मन में सोच लो कि तुम कायर हो, तुम कुछ नहीं कर सकते तो तुम वैसे ही बन जाओगे।
तुम सोचोगे कि तुम विजेता हो तो तुम वैसे ही बन जाओगे।

बच्चे की समझ में अब पूरी बात आ चुकी थी, उम्मीद है आप लोगों ने भी इस कहानी से शिक्षा ली होगी।


                                                                

100 Camels - सौ ऊंट..



दोस्तों, किसी शहर में, एक आदमी प्राइवेट कंपनी में जॉब करता था। वो अपनी ज़िन्दगी से खुश नहीं था, हर समय वो किसी न किसी समस्या से परेशान रहता था। एक बार शहर से कुछ दूरी पर एक महात्मा का काफिला रुका । शहर में चारों और उन्ही की चर्चा थी। बहुत से लोग अपनी समस्याएं लेकर उनके पास पहुँचने लगे, उस आदमी ने भी महात्मा के दर्शन करने का निश्चय किया।

छुट्टी के दिन सुबह-सुबह ही उनके काफिले तक पहुंचा । बहुत इंतज़ार के बाद उसका का नंबर आया।

वह बाबा से बोला- “बाबा , मैं अपने जीवन से बहुत दुखी हूँ, हर समय समस्याएं मुझे घेरी रहती हैं, कभी ऑफिस की टेंशन रहती है, तो कभी घर पर अनबन हो जाती है, और कभी अपने सेहत को लेकर परेशान रहता हूँ …।”

बाबा कोई ऐसा उपाय बताइये कि मेरे जीवन से सभी समस्याएं ख़त्म हो जाएं और मैं चैन से जी सकूँ ?

बाबा मुस्कुराये और बोले – “पुत्र, आज बहुत देर हो गयी है मैं तुम्हारे प्रश्न का उत्तर कल सुबह दूंगा … लेकिन क्या तुम मेरा एक छोटा सा काम करोगे …?”

“हमारे काफिले में सौ ऊंट हैं, मैं चाहता हूँ कि आज रात तुम इनका खयाल रखो …जब सौ के सौ ऊंट बैठ जाएं तो तुम भी सो जाना …”

ऐसा कहते हुए महात्मा अपने तम्बू में चले गए ।

अगली सुबह महात्मा उस आदमी से मिले और पुछा – ” कहो बेटा, नींद अच्छी आई।”

वो दुखी होते हुए बोला – “कहाँ बाबा, मैं तो एक पल भी नहीं सो पाया। मैंने बहुत कोशिश की पर मैं सभी ऊंटों को नहीं बैठा पाया, कोई न कोई ऊंट खड़ा हो ही जाता “

बाबा बोले – “बेटा, कल रात तुमने अनुभव किया कि चाहे कितनी भी कोशिश कर लो सारे ऊंट एक साथ नहीं बैठ सकते, तुम एक को बैठाओगे तो कहीं और कोई दूसरा खड़ा हो जाएगा। इसी तरह तुम एक समस्या का समाधान करोगे तो किसी कारणवश दूसरी खड़ी हो जाएगी ” पुत्र जब तक जीवन है ये समस्याएं तो बनी ही रहती हैं … कभी कम तो कभी ज्यादा …।”

“तो हमें क्या करना चाहिए ?” –  आदमी ने जिज्ञासावश पुछा।

“इन समस्याओं के बावजूद जीवन का आनंद लेना सीखो”

कल रात क्या हुआ ? :

1) कई ऊंट रात होते -होते खुद ही बैठ गए,
2) कई तुमने अपने प्रयास से बैठा दिए,
3) बहुत से ऊंट तुम्हारे प्रयास के बाद भी नहीं बैठे … और बाद में तुमने पाया कि उनमे से कुछ खुद ही बैठ गए …।

कुछ समझे? समस्याएं भी ऐसी ही होती हैं।।

1) कुछ तो अपने आप ही ख़त्म हो जाती हैं ,
2) कुछ को तुम अपने प्रयास से हल कर लेते हो
3) कुछ तुम्हारे बहुत कोशिश करने पर भी हल नहीं होतीं ,

ऐसी समस्याओं को समय पर छोड़ दो, उचित समय पर वे खुद ही ख़त्म हो जाती हैं।

जीवन है, तो कुछ समस्याएं रहेंगी ही रहेंगी, पर इसका ये मतलब नहीं की तुम दिन रात उन्ही के बारे में सोचते रहो …

समस्याओं को एक तरफ रखो और जीवन का आनंद लो, चैन की नींद सो, जब उनका समय आएगा वो खुद ही हल हो जाएँगी”



                                                              

जब हवा चलती है तो मैं सोता हूँ..



दोस्तों, बहुत समय पहले की बात है, आइस्लैंड के उत्तरी छोर पर एक किसान रहता था। उसे अपने खेत में काम करने वालों की बड़ी ज़रुरत रहती थी लेकिन ऐसी खतरनाक जगह, जहाँ आये दिन आंधी–तूफ़ान आते रहते हों , कोई काम करने को तैयार नहीं होता था।
किसान ने एक दिन शहर के अखबार में इश्तहार दिया कि उसे खेत में काम करने वाले एक मजदूर की ज़रुरत है। किसान से मिलने कई लोग आये लेकिन जो भी उस जगह के बारे में सुनता, वो काम करने से मन कर देता। अंततः एक सामान्य कद का पतला -दुबला अधेड़ व्यक्ति किसान के पास पहुंचा।
किसान ने उससे पूछा , “ क्या तुम इन परिस्थितयों में काम कर सकते हो ?”
“ ह्म्म्म, बस जब हवा चलती है तब मैं सोता हूँ ।” व्यक्ति ने उत्तर दिया ।
किसान को उसका उत्तर थोडा अजीब लगा लेकिन चूँकि उसे कोई और काम करने वाला नहीं मिल रहा था इसलिए उसने व्यक्ति को काम पर रख लिया।
मजदूर मेहनती निकला, वह सुबह से शाम तक खेतों में मेहनत करता, किसान भी उससे काफी संतुष्ट था। कुछ ही दिन बीते थे कि एक रात अचानक ही जोर-जोर से हवा बहने लगी, किसान अपने अनुभव से समझ गया कि अब तूफ़ान आने वाला है। वह तेजी से उठा, हाथ में लालटेन ली और मजदूर के झोपड़े की तरफ दौड़ा।
“ जल्दी उठो, देखते नहीं तूफ़ान आने वाला है, इससे पहले की सबकुछ तबाह हो जाए कटी फसलों को बाँध कर ढक दो और बाड़े के गेट को भी रस्सियों से कस दो।” किसान चीखा।
मजदूर बड़े आराम से पलटा और बोला, “ नहीं जनाब, मैंने आपसे पहले ही कहा था कि जब हवा चलती है तो मैं सोता हूँ।”
यह सुन किसान का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुँच गया, जी में आया कि उस मजदूर को गोली मार दे, पर अभी वो आने वाले तूफ़ान से चीजों को बचाने के लिए भागा।
किसान खेत में पहुंचा और उसकी आँखें आश्चर्य से खुली रह गयी, फसल की गांठें अच्छे से बंधी हुई थीं और तिरपाल से ढकी भी थी, उसके गाय -बैल सुरक्षित बंधे हुए थे और मुर्गियां भी अपने दडबों में थीं … बाड़े का दरवाज़ा भी मजबूती से बंधा हुआ था। सारी चीजें बिलकुल व्यवस्थित थी …नुक्सान होने की कोई संभावना नहीं बची थी। किसान अब मजदूर की ये बात कि “जब हवा चलती है तब मैं सोता हूँ ”…समझ चुका था, और अब वो भी चैन से सो सकता था ।
दोस्तों, हमारी ज़िन्दगी में भी कुछ ऐसे तूफ़ान आने तय हैं, ज़रुरत इस बात की है कि हम उस मजदूर की तरह पहले से तैयारी करके रखें ताकि मुसीबत आने पर हम भी चैन से सो सकें। जैसे कि यदि कोई विद्यार्थी शुरू से पढ़ाई करे तो परीक्षा के समय वह आराम से रह सकता है, हर महीने बचत करने वाला व्यक्ति पैसे की ज़रुरत पड़ने पर निश्चिंत रह सकता है, इत्यादि।
तो चलिए हम भी कुछ ऐसा करें कि कह सकें – “जब हवा चलती है तो मैं सोता हूँ।”



                                                        

A Life Changing Story - कौन पहुँचा रहा है आपकी तरक्की मे बाधा


एक दिन की बात है जब सभी कर्मचारी कार्यालय(office) पहुँचे और उन्होने देखा की एक  बड़ी सलाह दरवाजे पर लिखी हुई थी “वह व्यक्ति जो आपकी तरक्की मे बाधा पहुँचा रहा था कल उसकी मृत्यु हो गई” हम आपको उनके अंतिम संस्कार के लिए आमंत्रित करते है। शुरुआत मे सभी कर्मचारी ये बात सुनकर उदास हो गए की उनका एक साथी अब उनके साथ नहीं रहा लेकिन कुछ समय बाद वह सभी यह जानने को उत्सुक हो गए की वो कौन सा बंदा है जो अपने साथीयो और अपनी कंपनी की तरक्की रोकना चाहता था।


बहुत से लोग अंतिम संस्कार के लिए एकत्रित हुए। कर्मचारियो मे उसे देखने की बहुत इच्छा थी। सभी यह सोच रहे थे की वह कौन था जो उनकी प्रगति मे बाधा पहुँचा रहा था। हालांकि वह मर चुका था। एक एक करके कर्मचारी ताबूत के निकट उसे देखने गए और जब उन्होने उस ताबूत के अंदर देखा तो सभी चौंक गए। वह ताबूत के पास खड़े थे और शांत और हैरान थे जैसे की किसने उनकी आत्मा को छु लिया हो। उस ताबूत के अंदर एक शीशा था जिसने भी ताबूत के अंदर देखा उसने अपने आप को उस ताबूत के अंदर पाया। शीशे के पास ही कुछ लिखा हुआ था की “केवल एक व्यक्ति ही आपकी प्रगति को सीमित कर सकता है उसे रोक सकता है और वह केवल आप स्वयं हो” आप ही वह व्यक्ति है जो अपने जीवन मे क्रांति ला सकते है । आप ही केवल ऐसे व्यक्ति है अपनी खुशियो अपनी कामयाबीयो को प्रभावित कर सकते है। केवल आप ही ऐसे व्यक्ति है जो अपनी मदद खुद कर सकते है। आपकी लाइफ आपके बॉस, दोस्त, पार्टनर, कंपनी के बदलने से नहीं बदलेगी बल्कि आपके खुद के बदलने से बदलेगी। जब आप अपने सीमित विश्वासों से आगे निकल जाएँगे। जब आपको यह एहसास होगा की केवल आप ही है जो अपने जीवन के लिए जिम्मेदार है। आपका सबसे महत्वपूर्ण संबंध केवल अपने साथ ही हो सकता है।

MORAL OF THE STORY
विश्व एक शीशे के समान है। जो आपके विचार, सोच और मजबूत विश्वासों के प्रतिबिंब को आपको वापिस देता है। विश्व और आपकी सच्चाई एक ताबूत मे लेटे शीशे के समान है जो व्यक्ति को अपनी कल्पना की दैवीय योग्यता और कामयाबी और खुशियो को पैदा करने की उसकी शक्तियो की मृत्यु को दिखाता है । आप अपने जीवन की चुनौतियों का कैसे सामना करते है यही अंतर पैदा करता है।

                                                       

The Match Stick - माचिस की तीली


एक दिन एक किसान नाव पर बैठ कर नदी पार कर रहा था उसने एक बीड़ी जलाई और माचिस की तीली को फुक मार कर पानी में फैक दिया। पास में बैठे आदमी बार बार सोचता रहा की किसान ने तीली को अगर पानी में ही फैकना था तो तीली को बुझाया क्यों? उसकी समझ में नही आया फिर उसने हिम्मत की और किसान से पूछ ही लिया की तीली को पानी में फैकना था तो फूंक से बुझाया क्यों, तीली तो पानी में जाकर अपने आप ही बुझ जाती…

किसान ने जवाब दिया ये उसकी आदत है। उसके पिता जी ने कहा था की तीली को हमेशा बुझाकर ही फेंकना चाहिए क्योंकि एक तीली किसी का घर जला सकती है.

अब बात आती है छोटी से कहानी में बड़े से सन्देश की जो कहानी की गहराई में जाने पर पता चलता है जिस तीली से किसी का घर जलता है उसमे तीली फेंकने वाले की कोई गलती नही होती गलती होती है उसकी आदतो की उसके संस्कार की जो उसे उसके माँ बाप से मिले है तो दोष उनका नही उनकी परवरिश का दोष है।


बच्चे अपने माँ-बाप का प्रतिनिधित्व करते है आदमी जो भी करता है अपनी आदत के अनुसार ही करता है कोई अपनी माँ को डांट देता है कोई अपनी पत्नी पर हाथ उठता है रिश्तों को अहमियत नही देते, छोटी छोटी बात पर झगड़ा करते है और आजकल तो सोशल मीडिया पर आकर अपनी भड़ास निकालते है, लोगो को गालिया देते है और दूसरे लोगो का नुकसान करते है। उन्हें ये सोच कर माफ़ कर देना चाहिए की उनकी परवरिश में दोष है, वो इरादतन ऐसे नही कर रहे बल्कि आदतन ऐसे कर रहे है, ये सब करना उनकी आदत है 

जिन्होंने जिंदगी में संस्कार नही सीखे उनके बारे में क्या सोचना. ये बात अलग है की ऐसे काम किसी का घर जला देते है पर इसके बाद भी हमे लगता है की उन्हें ये सोच कर माफ़ कर देना चाहिए दोष उनका नही है। वो वही करेंगे जैसा उन्होंने सीखा है वो कहते है ना जैसा बीज बोयेंगे वैसा ही फल मिलेगा। हमे अपने माँ-बाप को धन्यवाद देना चाहिए की उन्होंने हमे अच्छी आदते सिखाई। और अच्छा इंसान बनाया
                                                              


Four Wifes - चार पत्नीया..


दोस्तों आज हम आपके साथ एक moral story शेयर करने जा रहे है. इस moral story के पीछे एक बहुत बड़ा सबक छुपा है जो आपको अपनी अंतरात्मा में झाँकने के लिए प्रेरित करेगा.

शहर मे एक अमीर व्यापारी अपनी चार पत्नीयो के साथ रहता था. वह अपनी चौथी पत्नी को अपनी बाकी पत्नियों से ज्यादा प्यार करता था. वह उसे खुबसूरत कपड़े खरीद के देता और स्वादिष्ट मिठाईया खिलाता. वह उसकी बहुत देखभाल करता था. वह अपनी तीसरी पत्नी से भी बहुत प्यार करता था. उसे उस पर बहुत गर्व भी था लेकिन वह उसे अपने मित्रो से दूर रखता क्योकि उसे डर था की वो उसको छोड़ कर किसी दुसरे आदमी के साथ भाग ना जाए. वह अपनी दूसरी पत्नी को भी प्यार करता था. दूसरी पत्नी उसकी बहुत देखभाल करती थी और व्यापारी उसपर काफी भरोसा करता था. जब भी व्यापारी को कोई परेशानी होती तो वह अपनी दूसरी पत्नी के पास ही जाता था और वो व्यापारी की हमेशा मदद करती थी और उसे बुरे समय से बचाती थी. व्यापारी की पहली पत्नी बहुत वफादार साथी थी. वह घर का देखभाल करती थी. पहली पत्नी ने व्यापारी की धन-दौलत और व्यापार को बनाये रखने मे बहुत अहम भूमिका निभाई थी. लेकिन व्यापारी अपनी पहली पत्नी को प्यार नहीं करता था, ना तो देखता और ना ही उसकी देखभाल करता था. लेकिन पहली पत्नी व्यापारी को बहुत प्यार करती थी.

एक दिन व्यापारी बीमार पड़ गया. उसकी बीमारी लम्बे समय तक चलती गयी और व्यापारी को लगा की वह जल्द ही मरने वाला है. उसने अपने शानदार जीवन के बारे में सोचा और खुद से कहा की अभी मेरी चार पत्निया है लेकिन मरूँगा अकेला ही. कितना अकेला हूँ मै. तब उसने अपनी चौथी पत्नी को बुलाया और पूछा की मै तुमसे सबसे ज्यादा प्यार करता हूँ, महंगे कपडे और स्वादिष्ट मिठाईया खरीद के देता हूँ, अब जब मै मरने वाला हूँ तो क्या तुम मेरा साथ दोगी और मेरे साथ चलोगी. पत्नी ने कहा बिलकुल नहीं, उसने आगे कुछ नहीं कहा और वहा से चली गयी. चौथी पत्नी का ये जवाब व्यापारी के मन पे चाकू की तरह चल गया और वह उदास हो गया. अब व्यापारी ने अपनी तीसरी पत्नी को बुलाया और कहा मैंने जिन्दगी भर तुम्हे बहुत प्यार किया. अब जब मै मरने वाला हूँ तो क्या तुम मेरा साथ दोगी और मेरे साथ चलोगी. तीसरी पत्नी ने जवाब दिया नहीं और कहा की यहाँ जिन्दगी बहुत अच्छी है, मै तुम्हारे मरने के बाद मै किसी ओर के साथ शादी कर लुंगी. व्यापारी का दिल डूब गया. तब उसने दूसरी पत्नी को बुलाया और कहा की जब भी मै किसी परेशानी में होता हूँ तो तुम्हे याद करता हूँ और तुम हमेशा मेरी मदद करती हो. अब मुझे दोबारा तुम्हारी मदद की जरुरत है. जब मै मर जाऊंगा तो क्या तुम मेरा साथ दोगी ओर मेरे साथ चलोगी. तीसरी पत्नी ने जवाब दिया मुझे माफ़ करना. इस बार मै तुम्हारी मदद नहीं कर सकती. हाँ कब्र में तुम्हे दफ़नाने तक तुम्हारा साथ जरुर दे सकती हूँ. इस उत्तर से तो जैसे व्यापारी पर बादल ही फट पड़ा. तब एक आवाज आई “मै तुम्हारा साथ दूंगी और तुम्हारे साथ चलूंगी जहाँ तुम जाओगे” व्यापारी ने देखा ये पहली पत्नी की आवाज थी. वो काफी दुबली पतली थी जैसे की कुपोषण से पीड़ित हो. व्यापारी ने कहा “मुझे तुम्हारी बहुत देखभाल करनी चाहिए थी जितनी मै कर सकता था”.

TEACHING FROM THIS MORAL STORY


दरअसल, हम सबकी जीवन में चार पत्निया होती है. चौथी पत्नी हमारा शरीर होता है, हम इसे जितना खिला ले, इसे सुन्दर बनाने में जितनी कोशिश कर ले, जितना समय लगा ले लेकिन मृत्यु प्राप्त होने पर ये शरीर हमें छोड़ देगा. तीसरी पत्नी है हमारी संपत्ति, जब हम मर जायेंगे तो ये दुसरे के पास चली जायेगी. हमारी दूसरी पत्नी होती है परिवार और मित्र. चाहे ये हमारे कितने भी करीब क्यों ना हो, कितना ही प्यार क्यों ना करते हो लेकिन ज्यादा से ज्यादा वो हमारी कब्र तक या हमे जलाने तक ही हमारे साथ रह सकते है. हमारी पहली पत्नी है हमारी आत्मा, सांसारिक खुशियों के लिए जिसकी हम उपेक्षा कर देते है. केवल यही वह चीज है जो हमारा साथ देगी और जहाँ जहाँ हम जायेंगे हमारे साथ साथ जाएगी, इसलिए हमें अभी से इसके साथ अपने संबंधो को विकसित और मजबूत करना चाहिए और इसकी देखभाल करनी चाहिए, इसे शुद्ध करना चाहिए.



                                                            



God is Always With You - रब हमेशा अपने बंदो का साथ देता हैं..


दोस्तों आज हम आपके साथ एक story शेयर करने जा रहे है जो हमें बताती ही है की कैसे आस्था (faith), विश्वास (belief) और सब्र (patience) का फल हमेशा मीठा होता है. कैसे हमें दुःख और मुसीबतों के समय अपने हौसले नहीं खोने चहिये और अपने भगवान, प्रकृति या भाग्य पर भरोसा रख सयंम के साथ निरंतर कर्म करने चाहिए.

एक़ अमीर व्यक्ति था. उसनें समुंद्र में अकेले घुमने के लिए एक़ नांव बनवाईं. छुट्टी के दिन वह नांव लेकर समुंद्र क़ी सैर करने निकला. वह समुंद्र में थोङा आगे तक़ पहुंचा ही था क़ि अचानक एक़ ज़ोरदार तूफ़ान आ गया.

उसकी नांव पुरी तरह से तहस-नहस हो गइ लेक़िन वह life Jacket  क़ी मदद से समुंद्र में कुद गया. जब तूफ़ान शान्त हुआ तब वह तैरता-तैरता एक़ टापु पर जा पहुंचा. मग़र वहां भी क़ोई नहीं था. टापु के चारों ओर समुंद्र के अलावा क़ुछ भी नज़र नहीँ आ रहा था.

उस आदमी ने सोचा क़ी जब मैंने पूरी ज़िंदगी में किसी का क़भी भी बूरा नहीँ किया तो मेंरे साथ ऐसा क्युँ हूआ ? उस इंसान को लगा क़ी रब ने मौत से बचाया तो आगे का रास्ता भी रब ही बतायेगा. धीरें-धीरे वह वहां पर उगे झाङ-फ़ल-पत्ते खाकर दिन बिताने लगा.

और अब धीरें-धीरे उसकी आस टुटने लगीँ, पर उसका अपने इश्वर और किस्मत से  faith (विश्वास) नहीं उठा. फ़िर उसनें सोचा क़ी अब पुरी ज़िन्दगी यहीं इसी टापु पर ही बितानी हैं तो क्यों ना एक़ झोंपडी बना लूं.. फ़िर उसनें पेड़ और झाङ क़ी लकड़ियों से एक़ छोटी सी झोंपडी बनाई.

उसनें मन ही मन में सोचा क़ी आज से झोंपडी में सोने को मिलेगा. आज से बाहर नहीं सोना पडेग़ा. रात हुईं ही थी की अचानक से मौसम बदला और बिजली ज़ोर-ज़ोर से कड़कने लगीं .!! तभी अचानक एक़ बिजली उसकी झोंपडी पर आ गिरीं और झोंपडी जलने लगीं. यह देखकर वह व्यक्ति टुट गया.

आसमान क़ी तरफ़ देखकर बोला, या रब ये तेरा कैसा इंसाफ़ हैं!!  तुने मुझ पर अपनी रहम की नज़र क्यों नहीँ की ? मैंने हमेशा तुझ पर विश्वास (faith) बनाये रखा.  फ़िर वह इंसान हताष और निराश होकर सर पर हांथ रखकर रोने लगा. अचानक ही एक़ नाव टापु के पास आईं.

नाव से उतर क़र दो आदमीं बाहर आएं और बोलें क़ी हम तुम्हेँ बचाने आएं हैं. दुर से इस विरान टापु में जलता हूआ झोंपड़ा देख़ा तो लगा की क़ोई उस टापु पर मुसिबत में हैं. अग़र तुम अपनी झोंपडी नहीं जलाते तो हमेँ पता नहीँ चलता क़ी टापु पर क़ोई हैं.

उस आदमीं की आंखों से आँसू गिरने लगें. उसनें रब से माफ़ी मांगी और बोला क़ी “या रब मूझे क्या पता था क़ी तुने मुझे बचाने के लिये मेरी झोंपडी जलाई थी. यकिनन तू अपने बन्दो का हमेशां ख़्याल रखता हैं. तुने मेरे सब्र का इम्तेहान  लिया,  लेक़िन में उसमे फ़ैल हो गया. मुझे माफ़ कर दें”.


moral of the story – कहानी की सीख


“दिन चाहे सुख के हो या दुःख के, भगवान अपने बन्दों के साथ हमेशा रहते हैं. हां बन्दा एक़ बार रब से रुठ सकता हैं लेकिन रब बन्दे से कभी नहीँ रूठता. वह हमेशा अच्छा ही करता हैं. अक्सर हमारे साथ भी ऐसे हालत बन जाते हैं, हम पुरी तरह निराश हो जातें हैं और अपने रब,  ईश्वर या destiny से रुठ जातें हैं और विश्वास (faith) खो देते है जिससे हमारे self confidence यानी आत्म विश्वास में भी गिरावट होती है.

लेक़िन फिर बाद मैं हमें पता लगता हैं क़ी – परमात्मा या destiny ने अच्छा ही किया था नहीं तो आज मैं यहां न होता |” इसलिए मुसीबत या दुःख के समय हार मानने की बजाय लगातार काम करिए, क्या पता कब आपकी किस्मत आपको आपकी मंजिल तक ले जाये.



                                                       

Golden Memories of Childhood - बचपन की सुनहरी यादे

जो अच्छा नहीं था वो आज याद आता हैं, इंसान फ़ितरत का यह सबसे उम्दा नमूना हैं जो कभी एक पल को बर्दाश्त नहीं था आज उसी की तलाश करता हैं, चाहे किसी का कितना ही बुरा बचपन गुजरा हो, लेकिन ऐसा कोई नहीं जिसे अपने बचपन की याद न सताती हो. अगर आप किसी व्यक्ति से पूछे की आपके जीवन के सुनहरे दिन कौन से थे तो वह कहेगा “बचपन”

जी हां सभी को यही दिन मिठाई से भी ज्यादा मीठे और सुनहरे लगते हैं. तो चलिए पढ़िए बचपन के कुछ किस्सो के बारे में.

बचपन की सुनहरी यादे – GOLDEN MEMORIES OF CHILDHOOD

मसरूफियत के दिन हैं. स्कूलों की परीक्षाएं सर पर हैं, इसलिए सब व्यस्त है. दो लम्हे की भी फुरसत नहीं. लेकिन यह दो क्षण निकाल लीजिये. दो दुनियाओं को देखने, समझने और मुस्कुराने का इससे बेहतर समय नहीं हो सकता.

बचपन स्कुल घर और दोस्तों से जुडी चंद बातें और चीजें ऐसी है जो सबको एक समय पर जहर लगती हैं और बस चंद सालों के फासले पर उनका इन्तेजार रहता हैं. पेन्सिल थी, तो स्याही वाले पेन की चाह थी – पेन्सिल छिलना, नोंक बनाना झंझट लगता था. आज जेल पैन तक आ गए, तो पेन्सिल छिलने का इत्मिनान और छिलने से आकृतिया बनाने की होड़ याद आती हैं.

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स्कुल जाना, तो शायद ही किसी को पसंद हो – बस्ता जमाना Classes, के बारे में सोच-सोचकर दुबले होना, लगता था की जब इस दौर से निकल जायेंगे तब जिंदगी के मजे आएंगे, आज दुपहर तीन बजे घर लौटने की छूट मिले, तो शायद ही कोई ऐसा हो जो इंकार करे.

School Uniform तो हर सुबह याद आती हैं – जो उन दिनों ऊब का masterstroke लगती थी. आज अलमारी खोलकर खड़े होते हैं की क्या पहने, तो बड़ी याद आती हैं वो बोरींग सी यूनिफार्म जिसके रहते कुछ और सोचने की जरुरत ही नहीं थी.

दोपहर में कोई सोता है माँ ?? – सब ने कभी न कभी ऐसा कहा ही होगा. और आज ? दफ़्तरर में खाना खाने के बाद जब आंखें मुंदने लगती हैं तो कहते हैं. दोपहर में सोना नसीब वालों को मिलता हैं.

पापा इतने लंबे रास्ते से क्यों लेकर जा रहे हैं ? – तब हर जगह पहुंचने की कितनी जल्दी हुआ करती थी. आज लौंग ड्राइव एक लक्ज़री लगती हैं. कही न पहुंचना हो, बस यूंही घूमें अब मुमकिन कहां!

मां कहे की घर पर रुकना आज – याद है कितना बवाल मचाते थे घर पर बोर हो जायेंगे क्या करना होता हैं घर में ? आज घर पर रुक कर चंद आराम के पल बिताने को कोई नहीं कहता, यह सवाल उठाने का मन करता हैं.

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ओफ्फोह कितनी ख़ामोशी है वहां – वहां नहीं जायेंगे यह फरमान किसी के घर या किसी जगह के बारे में जरूर जारी किया होगा. आज इतना शोर बरपा हैं चारों तरफ की उसी ख़ामोशी के लिए तरसते हैं.

तुम छोटे लग रहे हो – सुनना कैसा नागवार गुजरता था 13-14 साल की उम्र में लड़कों को जैकेट ब्लेजर  या लड़कियों का साड़ी पहनकर खुद को बड़ा साबित करना याद ही होगा. आज आपकी उम्र का पता ही नहीं चलता सुनना कितना भाता हैं.

 वो लैंडलाइन फ़ोन – जिसका घर पर ही छुटा रहना आज कितना याद आता है, जब पास पड़ा सेलफोन लगातार पुकारता है पुराने गाने कितने बोरिंग लगते थे, आज उनकी मधुरता की पहचान होने लगी.

फेहरिस्त और लंबी हो सकती है शुरू हमने कर दी है , आप अपनी चर्चाओं में जारी रखिये...





Struggle of Butterfly



दोस्तो हम आपके साथ एक ऐसी inspirational story शेयर करने जा रहे है जो बताती है की व्यक्ति के जीवन मे संघर्ष बहुत मायने रखता है। बिना संघर्ष के पायी हुई वस्तुओ मे ज्यादा खुशी नहीं मिलती जितनी कड़े संघर्ष को करने के बाद मिलती है.

ये कहानी बताती है की भगवान ने संघर्ष को प्राणी जीवन मे इसलिए इतना महत्वपूर्ण बनाया है ताकि प्राणी कठिन परिस्थितियो का सफलता पूर्वक सामना करके जीवन मे ओर निखार ला सके।

बिना मेहनत और संघर्ष के प्राणी का जीवन अपंग के समान हो सकता है और अगर सही समय पर जीवन मे संघर्ष न किया गया तो शेष जीवन निरर्थक बन सकता है।

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ये कहानी है एक तितली की। तितली की कोकून से निकलने की प्रक्रिया अति संघर्षपूर्ण होती है। अगर वह बिना संघर्ष किए ही कोकून से बाहर आ जाए तो उसे शेष जीवन अपंग के रूप मे बिताना पड़ता है क्योकि कोकून से निकलने के दौरान वह बहुत संघर्ष करती है जिससे उसके शरीर मे मौजूद तरल उसके पंखो तक पहुँच पाता है, जिससे वह उड़ पाती है।

एक दिन की बात है जब एक आदमी बाग मे घूम रहा था वही उसे तीतली का कोकून दिखाई पढ़ता है, तब से वो आदमी रोज उस कोकून को देखता है। एक दिन वह देखता है की उस कोकून मे छोटा सा छेद बन गया है। वह कोकून के पास बैठ जाता है और उसे ध्यान से देखता रहता है।

कुछ देर बाद वह देखता है की उस कोकून मे एक छोटा सा छेद बन गया है। फिर वह देखता है की तितली उस छेद से बाहर आने का प्रयास कर रही है। कई देर तक प्रयास करने के बाद भी जब वह उस छेद से बाहर नहीं आ पा रही थी और बिलकुल शांत हो गयी थी। उसने सोचा की तितली ने हार मान ली है अत: उसने सोचा की वह उसकी कुछ मदद कर दे।

उसने एक कैंची से उस कोकून के छेद को थोड़ा और बड़ा कर दिया और तितली उसमे से बाहर निकाल आई। पर उसने देखा की उसका शरीर सूजा हुआ है और पंख सूखे हुए है। आदमी ने सोचा की तितली उड़ेगी पर ऐसा न हो सका। दरअसल वह बिना संघर्ष के ही उस कोकून से बाहर निकल आई जिससे उसके शरीर का तरल उस तक ना पाहुच सका और वह अपंग हो गयी।


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इस INSPIRATIONAL STORY से सीख

प्राणी के जीवन मे संघर्ष का बहुत महत्व है। बिना संघर्ष के वह उड़ना नहीं सीख पाएगा, कहने का मतलब है की अगर वह कुछ पाने के लिए मेहनत और संघर्ष नहीं करेगा तो वह बेकार हो जाएगा। और कठिन परिस्थितियो का सामना नहीं कर पाएगा।

यहा इस व्यक्ति से भी सीख लेने की जरूरत है जो तितली के साहयता करके उसका काम आसान करना चाहता था। कई बार हम किसी की मदद कर उस इंसान को उसकी काबिलियत को पहचानने और उसे मेहनत करके कुछ सीखने से वंचित कर देते है. जिससे उसे विकसित होने मे कठिनाई पहुच सकती है।

हमे ये याद रखना चाहिए की कई बार हमे जरूरत होती है कठिन परिस्थितियो की ताकि हम संघर्ष कर अपने को उन्नत और विकसित बना सके।






Walt Disney - The World of Animation..



Walt Disney was a showman in the truest sense of the word. A pioneering force in the world of animation, he transformed the entertainment industry completely, with his innovative ideas and creative visions. In his over four-decade long career, he changed the way the world looked at animation and was solely responsible for ushering the golden age of animation. Starting off as a mere animator, he soon turned into a business magnate, eventually becoming a major figure in the American animation industry. He co-founded the Walt Disney Production, along with his brother, which went on to become one of the best motion picture producers of the world. The cartoon characters that we love to see today, such as Mickey Mouse, Donald Duck, Goofy, Pluto, are all the brainchild of this artistic inventor. In addition to his contribution in the field of animation, he was the mastermind behind the conceptualization and final formulation of Disneyland, an innovative theme park for children and adults alike. Till date, no other person has singularly contributed to the animation industry as Walt Disney has. To know more about his life and profile, read on.

Childhood & Early Life


Walter Elias ‘Walt’ Disney was born to Elias Disney and Flora Call Disney. His father was an Irish-Canadian by descent and his mother was a German-American. He had four siblings, three brothers and a sister.

At the age of four, he shifted base to Marceline, Missouri, with his family. It was here that he developed his life-long fascination for drawing and painting.

The family moved to Kansas City in 1911 where he received his early education. Walter Pfeiffer, theatre aficionado, became an early guiding light for him as he introduced young Disney to a world of vaudeville and motion pictures.

Moving to Chicago in 1917, he enrolled himself at the McKinley High School. At night, he used to attend course at the Chicago Art Institute. He worked as a cartoonist for his school newspaper.

Soon, he dropped out of school to join the Army but was rejected because he was underage. He then served as the driver of an ambulance for Red Cross.


Career



  • Moving back to Kansas City in 1919, started working at the Pesmen-Rubin Art Studio, as ad-writer. It was there that he met Ubbe Iwerks.
  • In 1920, he found employment with Kansas City Film Ad Company. His profile included making commercials from cutout animations. He developed an interest in animation and decided to become an animator.
  • However, finding true interest in cel animation, he left the company to start his own business venture. He offered employment to Fred Harman, who was his colleague at Kansas City Film Ad Company.
  • He entered into a business deal with a local theatre owner, Frank L Newman to screen the cartoons which he named, Laugh-o-Grams. The popularity of the cartoons led to the opening of Laugh-o-Grams studio. However, financial debt caused the closure of the studio in 1923.
  • Impervious to the bankruptcy, he aimed to set up a studio in California. Together with his brother Roy, and Iwerks, he opened Disney Brother’s Studio.
  • They entered into a distribution deal with New York distributor Margaret Winkler for Walt's 'Alice Comedies', an animated shorts based upon ‘Alice's Wonderland’. They invented a character, Oswald the Lucky Rabbit for which they contracted the shorts at $1,500 each.
  • In 1925, he recruited ink-and-paint artist Lillian Bound, little knowing then that the two would become lifelong partners.
  • The dream-run for Disney ended in 1928 when he realized that Universal Pictures had bought the trademark for Oswald and that most of his creative designers, except Iwerk, had forsaken him for the Universal Pictures.
  • Together with Iwerk, he worked on creating a new character, based on his pet mouse which he adopted during the Laugh-o-Gram days. The final touches to the sketch gave the world of animation a new character in Mickey Mouse.
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  • While the first two animated shorts did not bring Mickey Mouse much fame due to them being silent movies, the third short, was sound and music equipped became an instant success and created a sensation. Walt gave his voice for Mickey.
  • After the supper success of Mickey’s third short, Streamboat Willie, he launched sound in all of his subsequent cartoons.
  • In 1929, he released a series of musical shorts, titled ‘Silly Symphonies’, which featured Mickey’s friends, Donald Duck, Goofy, Pluto and Mickey’s girlfriend Minnie Mouse.
  • In 1933, he created his most memorable cartoon short, ‘The Three Little Pigs’. The cartoon was a big hit and garnered positive reviews.
  • Furthermore, its anthem song, ‘Who’s Afraid of the Big Bad Wolf’ became an iconic number during the Great Depression.
  • In 1935, he created history by launching ‘Flowers and Trees’, then one of the most popular cartoon shorts, in color. For the same, he was bestowed with the prestigious Academy Award.
  • In 1934, he planned to come up with a full-length animation feature. People deemed it to be ‘Disney’s Folly’ and the mark of his downfall. His wife and brother even encouraged in talking him out of the project but in vain.
  • After a successful training schedule, his high-profile leap of a feature film titled, ‘Snow White and the Seven Dwarfs’, went into production in 1934. After three years, the film premiered at the Carthay Circle Theatre, Los Angeles.



  • ‘Snow White and the Seven Dwarfs’ opened to public in February 1938. The film was a blockbuster at the box office and went on to become the most successful film of 1938. In its initial release, the film had grossed $8 million.
  • The grand success of Snow White not only catapulted the position of Disney in the world of animation but also brought about an era, which later was given the name as the Golden Age of Animation.
  • Following the success of his first film, he started working on several others, including, ‘Pinnochio’, ‘Fantasia’, ‘Dumbo’ and ‘Bambi’. 
  • Simultaneously, the short staff continued to work on the characters of Mickey Mouse, Donald Duck, Goofy, and Pluto cartoon series
  • In 1939, he opened the Walt Disney Studios in Burbank. However, two years later, a strike by Disney Animators resulted in heavy losses for the studio as many of the animators resigned from work.
  • By 1950s, after stabilizing the financial condition of Walt Disney Studios, he started focussing again on feature films. The first to release was ‘Cinderella’ in 1950, which was followed by ‘Alice in Wonderland’, ‘Peter Pan’, ‘Treasure Island’, ‘Lady in the Tramp’, ‘Sleeping Beauty’ and ‘101 Dalmatians’.
  • A visit to Children’s fairyland in Oakland inspired him for the concept of Disneyland. After five years of immense planning, projecting, fund raising and execution, the grand opening of Disneyland Theme Park took place on July 17, 1955. The park primarily gave children and families to explore the world of fantasy.


Major Works


He gave the world of animation a new ideology to work on and is believed to be responsible for the Golden Age of Animation. Most of the cartoon characters that we reckon today, Micky Mouse, Donald Duck, Goofy, and so on are the brain-child of this international icon, who became a major figure in the American animation industry in 20th century. Disneyland, the most popular theme park of the world, was also conceptualized and created by him.

Awards & Achievements


He received four honorary Academy Awards and twenty-two Academy Awards in his life for his distinguished works.

He was the proud recipient of seven Emmy awards.

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Personal Life & Legacy


He married Lillian Bound in 1925. The couple was blessed with a daughter, Diane Marie Disney in 1933. They adopted Sharon Mae Disney in 1936.

He died on December 15, 1966 due to lung cancer. Two days later, he was cremated and his ashes were interred at the Forest Lawn Memorial Park in Glendale, California.

Trivia


The Disneyland theme park located in US is the brainchild of this creative genius, who created ripples in the world of animation with his futuristic vision and immense ingenuity.



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